चुनाव में उत्तर प्रदेश के धुरंधरों ने भी रंग जमाया
दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों ने जहां अरविंद केजरीवाल को फिर से जिताया है, वहीं इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के धुरंधरों ने भी रंग जमाया है। नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र के चुनाव में केजरीवाल को भाजपा उम्मीदवार के रूप में टक्कर देने वाले प्रतापगढ़ के सुनील यादव मंगलवार को राष्ट्रीय फलक पर छाए रहे, जबकि नौ साल पहले सिविल सर्विसेज की तैयारी करने दिल्ली गए संतकबीरनगर के मेंहदावल निवासी अखिलेश पति त्रिपाठी ने भी लगातार तीसरी बार विधायक बनकर सबको चौंका दिया है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल के मुकाबले मैदान में उतरे सुनील यादव की हार के बावजूद उनके पैतृक गांव चांदपुर में जश्न का माहौल है। मंगलवार को लोग परिणाम जानने के लिए टीवी स्क्रीन से चिपके रहे। परिवार और गांव के लोगों का कहना है कि उन्हें सुनील पर गर्व है। दिल्ली राज्य के भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष और प्रतापगढ़ के मूल निवासी सुनील दिल्ली में पत्नी अंजली व दो बच्चों के साथ रहते हैं। उनका छोटा भाई अनिल भी दिल्ली में रहता है और जिम संचालित करता है।
बचपन में नाना के घर दिल्ली गए सुनील ने वहीं से प्राइमरी से लेकर एलएलबी तक की पढ़ाई की है। वह पार्षद का चुनाव भी लड़ चुके हैं। दिल्ली चुनाव के नतीजों के बाद सुनील के चाचा राम शिरोमणि यादव कहते हैं कि हार-जीत तो भाग्य की बात है, लेकिन उन्हें सुनील की हार पर भी गर्व है। प्रतापगढ़ की लालगंज तहसील क्षेत्र के निवासी बाबू लाल गौर भी अगस्त 2004 से नवंबर 2005 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे।
गए थे अधिकारी बनने, बन गए विधायक
आम आदमी पार्टी के टिकट पर तीसरी बार विधायक चुने गए अखिलेश पति त्रिपाठी का सियासी सफर भी मंगलवार को चर्चा में रहा। मेंहदावल से बारहवीं और प्रयागराज से स्नातक करने के बाद सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए अखिलेश वर्ष 2011 में दिल्ली पहुंचे थे। प्राथमिक विद्यालय में अध्यापक अभयनंदन त्रिपाठी के तीन पुत्रों में सबसे छोटे अखिलेश तब राजनीति का ककहरा भी नहीं जानते थे, लेकिन 2013 में अन्ना आंदोलन ने उन्हें आकर्षित किया तो वह इसमें शामिल हुए और केजरीवाल के करीब आ गए।
लगातार सफलता पाकर जीत की हैट्रिक
अरविंद केजरीवाल ने पार्टी बनाई तो अखिलेश पति त्रिपाठी उसमें भी शामिल हो गए। वर्ष 2013 में वह दिल्ली के मॉडल टाउन विधानसभा क्षेत्र से चुनकर पहली बार सदन में पहुंचे। फिर 2015 में और अब 2020 में भी उन्होंने लगातार सफलता पाकर जीत की हैट्रिक लगाई है। अखिलेश ने जीत को लोगों के प्यार, समर्थन व आशीर्वाद का प्रतिफल बताया है।
यह जीत लोगों के प्यार व आशीर्वाद का प्रतिफल
अखिलेश पति त्रिपाठी के पिता अभयनंदन त्रिपाठी प्राथमिक विद्यालय में अध्यापक थे। तीन पुत्रों में अखिलेश त्रिपाठी सबसे छोटे हैं। अखिलेश पढ़ाई में काफी होनहार थे और राजनीति का ककहरा भी नहीं जानते थे। दिल्ली में मनमोहन सरकार के खिलाफ 2013 में अन्ना आंदोलन के समय अखिलेश इस मूवमेंट का हिस्सा बने और अरविंद केजरीवाल के करीब आए। फोन पर बातचीत में अखिलेश पति त्रिपाठी ने बताया की यह जीत लोगों के प्यार, समर्थन व आशीर्वाद का प्रतिफल है। इस समर्थन व प्यार का कर्ज जिंदगी भर याद रहेगा तथा लोगों की सेवा में 24 घंटे तत्पर रहूंगा।