उत्तराखण्ड

उत्तराखंड की नई राजस्व संहिता का ड्राफ्ट नए सिरे से होगा तैयार, नवंबर अंत तक सरकार को मिल जाएगा ड्राफ्ट

देहरादून। उत्तराखंड की नई राजस्व संहिता का ड्राफ्ट अब नए सिरे से तैयार किया जाएगा। इस संबंध में गठित समिति का कार्यकाल 31 दिसंबर तक बढ़ा दिया गया है। प्रदेश में लागू विभिन्न भू-कानूनों, राजस्व व्यवस्था को एकीकृत कर बनाई जा रही इस संहिता को अगले 50 वर्ष के रोडमैप के रूप में तैयार किया जा रहा है।

एक बार सौंपा जा चुका है राजस्व संहिता का ड्राफ्ट

परिषद एक बार इसका ड्राफ्ट तैयार कर समिति को सौंप चुका है। उच्च स्तर पर मंथन के बाद यह तय किया गया कि इस ड्राफ्ट नई परिस्थितियों को ध्यान में रखकर संशोधन आवश्यक हैं। प्रस्तावित नई संहिता में भू-कानून के अध्ययन व परीक्षण को गठित उच्च स्तरीय समिति की संस्तुतियों को भी सम्मिलित किया जाना है।

प्रदेश में लागू हैं ये कानून

प्रदेश में वर्तमान में उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम) 1950 और भू-राजस्व अधिनियम प्रभावी हैं। इसके साथ ही जौनसार बावर परगना (जिला देहरादून) राजस्व अधिकारियों का (विशेषाधिकार) अधिनियम 1958, जौनसार बावर जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम 1956 के साथ ही कुछ अन्य भू-कानून भी चल रहे हैं।

नए सिरे से तैयार हो रहा है ड्राफ्ट

नई राजस्व संहिता के माध्यम से प्रदेश के समस्त भू-कानूनों के बारे में एक ही स्थान पर समुचित जानकारी उपलब्ध रहेगी। राजस्व संहिता बनाने के लिए गठित ड्राफ्टिंग कमेटी अब नए सिरे से ड्राफ्ट तैयार कर रही है। राजस्व परिषद के सचिव एवं आयुक्त चंद्रेश कुमार ने बताया कि नई राजस्व संहिता का नया ड्राफ्ट तैयार करने को हर शनिवार समीक्षा की जा रही है।

अगले माह सौंपी जाएगी रिपोर्ट

प्रदेश की दीर्घकालिक आवश्यकता को ध्यान में रखकर नई संहिता को मूर्त रूप दिया जा रहा है। समिति अगले माह नवंबर के आखिर तक नई राजस्व संहिता को लेकर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपने का प्रयास करेगी। इससे जल्द ही राजस्व संहिता लागू होगी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button