जामिया में लाठीचार्ज के विरोध में नदवा कॉलेज के छात्रों ने किया हंगामा
दिल्ली के जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी में हुए लाठीचार्ज का मामला लखनऊ तक पहुंच गया है। रविवार देर रात शुरू हुुुुआ हंगामा सोमवार को भी जारी रहा। नदवा कॉलेज के छात्रों ने परिसर के बाहर प्रदर्शन किया। रविवार रात करीब पांच सौ छात्रों के समूह ने गोमती बंधे पर जाम लगा दिया। हंगामे में स्थानीय लोग भी शामिल हो गए। काफी देर तक चले हंगामे की जानकारी पुलिस को नहीं थी। एएसपी ट्रांसगोमती राजेश कुमार श्रीवास्तव से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हंगामे या सड़क जाम की कोई घटना नहीं हुई है। पुलिस रूटीन गश्त पर निकली है। वहीं सोमवार सुबह छात्र फिर से सड़क पर उतर आए और प्रदर्शन करनेे लगे। मौके पर डीएम और एसपी डटे हुए हैंं।
दरअसल जामिया में नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध कर रहे छात्रों के उग्र प्रदर्शन के बाद पुलिस के लाठीचार्ज से नाराज नदवा कॉलेज के छात्रों ने सड़क जाम कर हंगामा शुरू कर दिया। छात्रों ने गोमती बंधे के आसपास जाम लगा दिया। देर रात अचानक से शुरू हुई नारेबाजी और सड़क जाम की खबर पाकर कई थानों की पुलिस मौके पर पहुंची। इसके बाद लाठी भांजकर प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने खदेड़ा। छात्र भागकर कॉलेज के भीतर चले गए।
नदवा और आसपास के इलाकों में फिलहाल फोर्स बढ़ा दी गई है। हालांकि इस मामले में अभी तक किसी को पकड़ा नहीं जा सका। पुलिस प्रदर्शनकारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने की तैयारी में है।
एक अफवाह से हुआ माहौल खराब
सोशल मीडिया पर जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी में हुए बवाल में पुलिस की गोली से हुई मौत की अफवाह वायरल होने पर यह हंगामा हुआ। इसी के बाद नदवा के सैकड़ों छात्र बाहर निकल आए और हंगामा कर जाम लगा दिया।
सोती रही पुलिस, होता रहा हंगामा
नदवा कॉलेज के सैकड़ों छात्र सड़क पर हंगामा करते रहे, लेकिन पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी। छात्रों ने जमकर नारेबाजी की और सड़क जाम कर दिया। राहगीरों से अभद्रता तक की, लेकिन पुलिस वहां नजर नहीं आई। काफी देर बाद जब पुलिस को पता चला तो कई थानों की फोर्स बुला ली गई। पीएसी के पहुंचने के बाद पुलिसकर्मी हरकत में आए।
छात्रों पर नियंत्रण करने के लिए सुरक्षा बल को लाठी फटकारनी पड़ी। इस दौरान आट्र्स कॉलेज की ओर जा रहे छात्रों में भगदड़ मच गई। छात्र भागकर वापस नदवा कॉलेज में प्रवेश कर गए। कॉलेज के आसपास का इलाका छावनी में तब्दील हो गया। खास बात यह रही कि एलआइयू को भी पूरे मामले की भनक नहीं लगी।