उत्तराखण्ड

पीएम मोदी उत्तराखंड के इन लोगों के कार्यों का उल्लेख मन की बात कार्यक्रम में कर चुके हैं मन की बात कार्यक्रम के के ये हैं हीरो

उत्तराखंड के कई लोगों ने पर्यावरण संरक्षण सहित कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय काम किया है। पीएम मोदी उत्तराखंड के इन लोगों के कार्यों का उल्लेख मन की बात कार्यक्रम में कर चुके हैं। जो पीएम के मन की बात कार्यक्रम के हीरो हैं।

उत्तराखंड की लोक संस्कृति को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहे राठौर
बगेश्वर जिले के रीमा गांव निवासी पूरण सिंह राठौर उत्तराखंड की लोक संस्कृति को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने उत्तराखंड की लोक विधा, जागर, न्योली, हुड़काबोल, राजुला मालूशाही लोक गाथा के गायन में अच्छी पहचान बनाई है। राजभवन देहरादून में पत्नी हेमा देवी के साथ पहुंचे पूरन राठौर बताते हैं, छह महीने की उम्र में उनकी दोनों आंखें खराब हो गई थीं। बचपन से वह पहाड़ी गीत, झोडा, चाचरी, न्यौली, छपेली, जागर आदि सुना करते थे। आंखें खराब होने की वजह से पढ़ाई नहीं कर पाए, लेकिन 11 साल की उम्र से उन्होंने लोक गायन शुरू कर दिया था।

कोरोना टीका लगाने के लिए पूनम नापती थीं 10 किमी की पैदल दूरी
बागेश्वर जिले में एएनएम पूनम नौटियाल कोरोना काल के दौरान कोविड का टीका लगाने के लिए कई बार 10 से 12 किलोमीटर की पैदल दूरी नापती थीं। उन्होंने इसके लिए लोगों को जागरूक भी किया, उनके बेहतर काम के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनसे सीधे बात कर उनकी जमकर तारीफ कर चुके हैं। पूनम बतातीं हैं कई बार लोग टीका लगाने के लिए यह कहते हुए इनकार करते थे कि उन्हें सुगर व बीपी है। ऐसे में ग्राम प्रधान और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का सहयोग लेकर लोगों को इसके प्रति जागरूक किया। इसके अलावा कई बार रास्ता बंद होने पर पैदल दूरी नापनी पड़ती थी।

पीएम तक बात पहुंची, पर रिस्पना नहीं हुई पुनर्जीवित
दीपनगर जिला देहरादून निवासी छात्रा गायत्री ने प्रधानमंत्री से मरणासन्न हालत में पहुंच चुकी रिस्पना नदी की पीड़ा को बयां किया था। उनकी बातचीत के रिकार्ड संदेश को मन की बात में प्रधानमंत्री ने पूरे देश को सुनाया था। तभी से गायत्री सहित पूरे दून की उम्मीद रिस्पना के पुनर्जीवन को लेकर बढ़ गई थी। राजभवन पहुंचीं गायत्री बताती हैं। पीएम तक उनका संदेश पहुंचने के बाद कई लोग उनके पास आए, कुछ एनजीओ से भी सहयोग का आश्वासन मिला, लेकिन पीएम तक बात पहुंचने के बावजूद रिस्पना नदी पुनर्जीवित नहीं हो पाई। उसकी जो स्थिति पहले थी, आज भी वही है।

शिक्षक संतोष नेगी ने किया वर्षा जल संरक्षण के क्षेत्र में काम
जीआईसी कोटद्वार में गणित के शिक्षक संतोष नेगी ने वर्षा जल संरक्षण के क्षेत्र में जो प्रयोग किया उसकी पीएम मोदी सराहना कर चुके हैं। शिक्षक ने स्कूल परिसर में वर्षा जल संचयन के लिए करीब दो सौ छोटे-छोटे गड्ढे बनाए, जिनसे वर्षा का जल इन गड्ढों में एकत्रित हुआ और स्कूल परिसर हरा भरा हुआ। शिक्षक के इस कार्य के लिए प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी मन की बात कार्यक्रम में उनकी जमकर तारीफ कर चुके हैं। शिक्षक नेगी बताते हैं वर्षा जल संरक्षण के क्षेत्र में उनकी ओर से शुरू की गई यह मुहिम आगे भी जारी रहेगी। इसके प्रति छात्र-छात्राओं को भी जागरूक किया जा रहा है।

सेवानिवृत्त शिक्षक भारती ने सूख चुके गदेरे काे किया पुनर्जीवित

उफ्रैखाल पौड़ी जिला निवासी सेवानिवृत्त शिक्षक सच्चिदानंद भारती ने वर्ष 1989 में बीरोंखाल के उफ्रैखाल में छोटे-छोटे चाल खाल बनाकर वर्षाजल का संरक्षण किया। भारती बताते हैं कि उन्होंने करीब 30 हजार से अधिक चाल-खाल बनाए। उसके आस पास बांज, बुरांस के पेड़ लगाए। इसका परिणाम यह हुआ कि 10 साल बाद क्षेत्र में सुखा गदेरा पुनर्जीवित हो गया। जिसमें वर्तमान में लगातार पानी चल रहा है। भारती बताते हैं जिन स्थानों पर चाल-खाल बनाए गए हैं, उन स्थानों पर वन भी हरे भरे हैं। वर्षा जल संरक्षण के लिए उन्होंने ‘पाणी राखो’ नाम से आंदोलन शुरू किया है।

मनोज ने गंदे घाटों पर शुरू की आरती
रुद्रप्रयाग के मनोज बैंजवाल पवित्र स्थलों को प्लास्टिक मुक्त करने में जुटे हैं। 1997 से वह इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं। बैंजवाल बताते हैं जिन घाटों पर गंदगी थी, उन्होंने न घाटों पर आरती शुरू की। क्षेत्र के अन्य लोगों को भी इससे जोड़ा। नतीजा यह हुआ कि लोगों ने वहां गंदगी फैलाना बंद कर दिया। इसके अलावा उन्होंने वासुकीताल, तुगंनाथ सहित विभिन्न बुग्यालों को भी प्लास्टिक मुक्त करने के लिए अभियान चलाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात कार्यक्रम में मनोज के कार्यों को सराहा चुके हैं। मनोज बताते हैं कि इन दिनों वह स्कूलों में छात्र-छात्राओं को कूड़ा प्रबंधन के प्रति जागरूक कर रहे हैं।

डीएम मंगेश को देख बगवाड़ी को मिली इस क्षेत्र में कुछ करने की प्रेरणा
गुप्तकाशी निवासी सुरेंद्र प्रसाद बगवाड़ी स्वच्छता अभियान में जुटे हैं। वह बताते हैं, तत्कालीन डीएम मंगेश को गदेरे को साफ करते देखा तो उन्हें भी लगा कि इस क्षेत्र में उन्हें भी कुछ करना चाहिए। बगवाड़ी बताते हैं उन्होंने भी क्षेत्र में स्वच्छता को लेकर अभियान चलाया। वह केदारनाथ के तीर्थ पुरोहित हैं। बिहार के पांच सौ गांवों में उनकी यजमानी है। उन्होंने बिहार में भी इसके प्रति लोगों को जागरूक किया। इस काम में उन्हें पत्नी तीर्थेश्वरी देवी का भी पूरा सहयोग मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात कार्यक्रम में उनके इस काम को सराह चुके हैं। उन्होंने कहा कि इन दिनों वह लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक कर रहे हैं। इस काम में अन्य का भी सहयोग मिल रहा है।

चंपा बंजर भूमि में पेड़ लगाकर उसे कर रहीं हरा-भरा
गुप्तकाशी के देवर गांव की चंपा देवी स्कूल में भोजन माता हैं, जो स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक कर रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात कार्यक्रम में उनके इस प्रयास की जमकर तारीफ कर चुके हैं। रविवार को राजभवन पहुंची चंपा देवी बताती है कि स्कूल में बच्चों को भी स्वच्छता के प्रति जागरूक कर रहीं हैं। उन्होंने क्षेत्र की बंजर भूमि पर पेड़ लगाकर उसे हरा भरा किया है। पिछले छह साल में वह बंजर भूमि में कई पेड़ लगा चुकी हैं।

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