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नौशहरा में नौ दिन से चल रहा ऑपरेशन, दिन-रात एक किए हुए है, लक्ष्य-आतंकियों का खत्मा

पिछले नौ दिन से सुरक्षा बल के जवान सीमा पार से घुसपैठ कर भारतीय क्षेत्र में घुसे आतंकियों की तलाश में दिन-रात एक किए हुए हैं। न खाने की चिंता है-न आराम का समय। हाथ में बंदूक और निशाना लक्ष्य पर। राजौरी के उपजिला नौशहरा के जंगलों में चल रहा ऑपरेशन बेहद चुनौतीपूर्ण है। जंगल इतना घना है कि सूरज की किरणें भी जमीन पर न पड़ें।

धुंध इतनी कि सुबह-शाम कुछ मीटर दूर तक देखना तक मुश्किल है। ठंड का आलम यह है कि तापमान तीन डिग्री सेल्सियस के आसपास पहुंच जाता है। बावजूद इसके सुरक्षाबलों का जोश हाई है। जवान अपने दो जांबाजों की शहादत का बदला लेने से पहले पीछे हटने को तैयार नहीं।

आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन नौशहरा के खेड़ी गांव के सामने वाली पहाड़ी के ऊपर चलाया जा रहा है। दब्बड़ आटो स्टैंड इस समय सुरक्षा बलों का एक बेस कैंप बन चुका है। ऑपरेशन में जुटा जवान तभी बेस कैंप में लौटता है, जब उसकी जगह दूसरा जवान मोर्चे पर पहुंचता है।

पैरा कमांडों और खोजी कुत्ते भी उतारे :

इस अभियान में पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप के जवानों के साथ सेना के पैरा कमांडो और खोजी कुत्ते भी उतारे गए हैं, जो जंगल को छान रहे हैं। बुधवार को एसएसपी राजौरी जुगल मन्हास के साथ सेना के उच्चाधिकारी भी ऑपरेशन में शामिल हुए।

गुफा के अंदर भी नहीं मिले आतंकी :

खेड़ी, दराट, दब्बड़, पोठा व मंगल देही क्षेत्र में आतंकियों की तलाश में जुटे सुरक्षा बल के जवान बुधवार को जंगल में उस गुफा तक भी पहुंचे जहां आतंकियों के छिपे होने की आशंका थी। सुरक्षाबल गुफा में दाखिल हुए और तलाशी ली, लेकिन इसमें भी कुछ नहीं मिला। गुफा के आसपास काफी घना जंगल है, अब सुरक्षा बलों ने इस जंगल के अंदर अपना अभियान शुरू कर दिया है।

बार-बार बदल रहे ठिकाना:

सूत्रों का दावा है कि आतंकी इसी क्षेत्र में मौजूद हैं और सुरक्षाबलों से बचने के लिए बार-बार अपना ठिकाना बदल रहे हैं। गत मंगलवार को आतंकियों ने अपना जीपीएस खोला था, उससे सुरक्षाबलों को सुराग मिला था कि वह इसी क्षेत्र में छिपे हैं।

पक्का ठिकाना बनाने की आशंका :

सुरक्षा एजेंसियां को यह भी अंदेशा है कि हो सकता है आतंकियों ने इस घने जंगल में अपना पक्का ठिकाना बना लिया हो। जहां यह आतंकी छिपे हुए हों और इन ठिकानों में अपनी जरूरत का हर सामान रखा हो, जिस कारण वह बाहर नहीं आ रहे हैं और न ही सुरक्षा बलों पर फायर कर रहे हैं।

घुसपैठ कर आए थे आतंकी :सूत्रों के अनुसार, तीन से चार आतंकियों ने दिसंबर के अंतिम सप्ताह में घुसपैठ की थी। इसके बाद 31 दिसंबर की रात को आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में सेना के दो जवान शहीद हो गए थे। उसके बाद आतंकी भाग निकले थे। तभी से इन्हें मार गिराने का अभियान जारी है।

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