दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के कारण स्थिति लगातार चिंताजनक बनी, राज्य सरकारों ने उठाए बड़े कदम
दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के कारण स्थिति लगातार चिंताजनक बनी हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र और राज्य सरकारों को फटकार लगाई है और इस पर नियंत्रण के लिए कदम उठाने को कहा है। इसके बाद दिल्ली-एनसीआर में कई कदम उठाए जा रहे हैं। हालांकि फिलहाल इसका कुछ फायदा नजर नहीं आया है। दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में अभी भी एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी एक्यूआई बेहद खराब से गंभीर श्रेणी में बना हुआ है। आइए जानते हैं प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए हैं-
स्कूल-कालेज बंद, दफ्तरों में भी वर्क फ्रोम होम शुरू
कोरोना महामारी के चलते काफी समय बाद दिल्ली में इसी महीने स्कूल फिर से खोले गए थे, लेकिन अभी आधे महीने बाद ही स्कूल बंद करने की घोषणा की गई है। दिल्ली सरकार ने प्रदूषण को देखते हुए अगले आदेश तक स्कूल बंद करने का निर्णय लिया है। हरियाणा के गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत और झज्जर में भी स्कूल-कालेज बंद कर दिए गए हैं। वहीं, दिल्ली में दफ्तरों में वर्क फ्रोम होम फिर से शुरू कर दिया गया है। सरकारी दफ्तरों में 100 फीसद और निजी दफ्तरों में 50 फीसद वर्क फ्रोम होम कर दिया गया है।
दिल्ली में ट्रकों की एंट्री बैन, निर्माण कार्यों पर भी प्रतिबंध
दिल्ली में जरूरी सेवाओं के अलावा अन्य ट्रकों की एंट्री बैन कर दी गई है यानी दूसरे राज्यों से आने वाले ट्रक दिल्ली में प्रवेश नहीं कर सकेंगे। टिकरी बार्डर पर अनेकों ट्रकों को रोक दिया गया है। हालांकि सरकार के इस फैसले से लोगों को काफी परेशानी भी हो रही है। बार्डर पर इस कारण कई किमी लंबा जाम लग गया है। यह बैन 21 नवंबर तक जारी रहेगा। इसके अलावा निर्माण कार्यों पर भी 21 नवंबर तक के लिए रोक लगा दी गई है।
दिल्ली में पुरानी गाड़ियों पर भी प्रतिबंध
दिल्ली सरकार ने पेट्रोल की 15 साल पुरानी और डीजल की 10 साल पुरानी गाड़ियों पर बैन लगा दिया है। इनके अलावा राजधानी के 300 किमी दायरे में आने वाले 11 में से छह थर्मल पावर प्लांट 30 नवंबर तक बंद रहेंगे। सिर्फ पांच प्लांट में ही काम होगा। इसके अलावा गुरुग्राम में सिर्फ कानेटिविटी वाले उद्योगों को गैस संचालित करने की अनुमति रहेगी। वहीं, अनआथराइज्ड ईंधन का उद्योगों में प्रयोग वर्जित रहेगा।
पंजाब में पराली जलाने वाले किसानों पर ढाई हजार रुपये से 15 हजार रुपये तक जुर्माना लगाया जाएगा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा के कुछ ही गांवों में पराली जलाई जाती है इसलिए किसानों को सजा देने की जरूरत नहीं है।