बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि बदले जाने का निर्णय
कोरोना महामारी के दौर में टिहरी महाराजा द्वारा बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि बदले जाने को डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत ने धर्मसम्मत निर्णय करार दिया है। केंद्रीय पंचायत का कहना है कि बदरीनाथ धाम में नारायण की मूर्ति को स्पर्श करने का एकमात्र अधिकार रावल को है।
डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत के अध्यक्ष विनोद डिमरी के अनुसार बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि व भगवान नारायण के अभिषेक को तिलों का तेल निकालने के तिथि वसंत पंचमी पर टिहरी राज परिवार द्वारा निश्चित की जाती है। अब कोरोना महामारी को देखते हुए टिहरी महाराजा ने बदरीनाथ के कपाट खोलने की तिथि 30 अप्रैल से बढ़ाकर 15 मई और तेल निकालने की तिथि पांच मई निश्चित की है। भगवान बदरी विशाल के प्रतिनिधि के रूप में राजा का यह निर्णय हर दृष्टि से उपयुक्त है। कहा कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बदरीनाथ मंदिर के गर्भगृह में रावल के साथ डिमरी पुजारी को भी प्रवेश करने का अधिकार है। लेकिन, भगवान बदरी विशाल के स्वयंभू विग्रह (मूर्ति) को स्पर्श करने का अधिकार सिर्फ रावल को है।
डिम्मर उमटा डिमरी धार्मिक पंचायत के अध्यक्ष आशुतोष डिमरी ने टिहरी महाराजा के निर्णय का स्वागत किया है। उधर, सीमांत गांव माणा के प्रधान पीतांबर मोलफा ने कहा कि कपाट खुलने पर रावल ही नारायण के विग्रह से घृत कंबल को उतारते हैं। यह परंपरा तोड़ी गई तो जनजाति के लोग इसका विरोध करेंगे। जबकि, पंडा पंचायत के पूर्व महासचिव मुकेश अलखनिया ने लोगों को टिहरी महाराजा के निर्णय पर अनावश्यक बयानबाजी न करने की सलाह दी है।
बैशाख में ही खुल रहे बदरीनाथ के कपाट
बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने कहा कि धाम के रावल लॉकडाउन के नियमों का पालन करने के लिए स्वयं ऋषिकेश में क्वारंटाइन हैं। इसलिए सभी को उनकी भावनाओं का आदर करना चाहिए। कहा कि जगत कल्याण के लिए कपाट खुलने की तिथि बदला जाना जरूरी था। इसलिए टिहरी महाराजा के निर्णय पर किसी तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए। धर्माधिकारी ने कहा कि ज्येष्ठ माह 15 मई को सूर्योदय के बाद शुरू हो रहा है। जबकि, धाम के कपाट इसी दिन ब्रह्मबेला में 4.30 बजे खोले जाने हैं। कहा कि सूर्य 14 मई की शाम वृष राशि में प्रवेश करेगा। लेकिन, 15 मई को सूर्योदय के पूर्व तक बैशाख मास ही रहेगा। इसलिए यह कहना कि कपाट बैशाख में नहीं खोले जा रहे, पूरी तरह गलत है।
चारधाम यात्रा कैसे चलेगी, मंथन में जुटी सरकार
चारधाम यानी यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ व बदरीनाथ के कपाट खुलने की तिथियां तय होने के साथ ही बदली परिस्थितियों में उत्तराखंड की आर्थिकी में अहम भूमिका निभाने वाली चारधाम यात्रा कैसे संचालित होगी, इस पर सरकार मंथन में जुट गई है। हालांकि, यात्रा के दृष्टिगत तैयारियां चल रही हैं, लेकिन कोरोना महामारी को देखते हुए ऐहतियातन क्या-क्या व्यवस्थाएं की जा सकती हैं और यात्रा कैसे चलेगी इस पर गहनता से विचार किया जा रहा है। पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने इस संबंध में अफसरों को प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन खुलने पर ये प्रस्ताव केंद्र को भेजे जाएंगे और फिर वहां से जो भी गाइडलाइन मिलेगी, उसके अनुरूप कदम उठाए जाएंगे।
चारधाम यात्रा से चार जिलों चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी व टिहरी की आर्थिकी विशुद्ध रूप से जुड़ी है। इन जिलों के लोग छह माह तक चलने वाली यात्रा पर निर्भर हैं। इसके साथ ही हरिद्वार और ऋषिकेश की अर्थव्यवस्था में भी चारधाम यात्रा काफी मददगार है। यमुनोत्री व गंगोत्री के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा का आगाज होता है, मगर इस साल कोरोना संकट के चलते परिस्थितियां पूरी तरह बदली हुई हैं।
हालांकि, चारधाम के कपाट खुलने की तिथियां तय हो चुकी हैं, लेकिन यात्रा का प्रभावित होना तय है। चारों धाम देशभर से लोग आते हैं और यहां की आर्थिकी में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से योगदान देते हैं। राज्य का एक बड़ा वर्ग तो यात्रा के जरिये ही अपनी आजीविका जुटाता है। फिर चाहे वह होटल व्यवसाय से जुड़े लोग हों, छोटे दुकानदार हों, मोटर व्यवसायी हों या फिर घोड़े-खच्चर, डंडी-कंडी से जुड़े लोग, उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ेगा। पुरोहित समाज के लोगों के सामने भी संकट खड़ा होगा। बदली परिस्थितियों में यात्रा का स्वरूप क्या होगा, इसे लेकर सरकार की पेशानी पर भी बल पड़े हैं।
हालांकि, इसे लेकर मंथन शुरू हो गया है। पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज के अनुसार सरकार इस दिशा में गंभीरता से विचार कर रही है। मौजूदा परिस्थितियों में एक-दूसरे से शारीरिक दूरी के मानकों का अनुपालन करते हुए कैसे यात्रा को चला सकते हैं, स्वास्थ्य जांच समेत अन्य विषयों पर क्या-क्या व्यवस्थाएं की जानी हैं, ऐसे तमाम बिंदुओं पर प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए हैं। सुझाव सहित समग्र प्रस्ताव तैयार होने के बाद इसे केंद्र को भेजा जाएगा।