कोरोना के चलते बदरीनाथ धाम की यात्रा की तैयारियों में भी ब्रेक
कोरोना महामारी से उपजे हालात बदरीनाथ धाम की यात्रा तैयारियों में भी बाधा डाल रहे हैं। कपाट खुलने में अब महज 20 दिन का समय शेष है और अभी तक यात्रा व्यवस्थाएं जुटाने को देवस्थानम बोर्ड की टीम बदरीनाथ रवाना नहीं हो पाई है। धाम के कपाट 30 अप्रैल को खोले जाने हैं। बीते वर्ष 10 मई को धाम के कपाट खुले थे और व्यवस्थाएं जुटाने के लिए मंदिर समिति की टीम 13 अप्रैल को ही बदरीनाथ पहुंच गई थी।
कोरोना महामारी के चलते चारों धाम में यात्रा का संचालन कैसे और कब से होगा, इसे लेकर अभी केंद्र की गाइड लाइन का इंतजार है। हालांकि, बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) ने बदरीनाथ तक हाईवे खोल दिया है, लेकिन धाम में मंदिर परिक्रमा स्थल में अभी भी चार फीट से अधिक बर्फ है। बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने बताया कि धाम के कपाट खुलने के दौरान रावल, नायब रावल, धर्माधिकारी व वेदपाठी सहित व्यवस्थाएं संभालने वाले 25 लोग ही मंदिर में रहेंगे। इस बीच मंदिर तक के रास्ते व परिक्रमा स्थल के आसपास से बर्फ हटाकर पुजारी व कर्मचारी आवासों को सुव्यवस्थित कर लिया जाएगा।
उधर, श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के निवर्तमान मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि देवस्थानम बोर्ड बनने के बाद मंदिर समिति का अस्तित्व खत्म हो गया है। सारी व्यवस्थाएं अब बोर्ड को ही संभालनी हैं।
तेल कलश यात्रा अब 24 अप्रैल से
श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने से पहले नरेंद्रनगर (टिहरी) राजमहल से निकलने वाली तेल कलश (गाडू घड़ा) यात्रा की तिथि में दोबारा बदलाव किया गया है। मंदिर समिति के निवर्तमान मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए यात्रा की तिथि बदली गई है। अब तेल कलश यात्रा 18 अप्रैल के बजाय 24 अप्रैल को नरेंद्रनगर राजमहल से बदरीनाथ धाम के लिए रवाना होगी। इससे पूर्व 23 अप्रैल को डिमरी केंद्रीय धार्मिक पंचायत के चार प्रतिनिधि मंदिर समिति के ऋषिकेश स्थित चंद्रभागा विश्रम गृह पहुंच जाएंगे।
26 अप्रैल को श्री लक्ष्मी-नारायण मंदिर डिम्मर में तेल कलश की पूजा होगी और फिर यात्रा नृसिंह मंदिर जोशीमठ व योग-ध्यान बदरी पांडुकेश्वर होते हुए 29 अप्रैल को बदरीनाथ धाम पहुंचेगी। 30 अप्रैल को ब्रह्ममुहूर्त में 4.30 बजे धाम के कपाट खोल दिए जाएंगे।
चारधाम यात्रा की तैयारियों पर भारी पड़ रही कोरोना महामारी
वर्ष 2012 और 2013 की आपदा के बाद उम्मीद थी कि पहाड़ की अर्थ व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली चारधाम यात्रा आगे अच्छी चलेगी। लेकिन, कोरोना संक्रमण की महामारी ने इस पर ब्रेक लगा दिया है। होटल स्वामियों के पास आगामी मई, जून के लिए आई बुकिंग भी स्थगित हो चुकी है। वह इसलिए कि अधिकांश यात्री दक्षिण भारत के राज्यों सहित मध्यप्रदेश, गुजरात और राजस्थान से आते हैं। इन राज्यों में कोरोना कोहराम मचा रहा है। ऐसे में चारधाम यात्र से जुड़े व्यवसायियों के चेहरों पर मायूसी छायी है।
दरअसल, गंगा घाटी व यमुना घाटी के करीब 30 हजार परिवारों का रोजगार जुड़ा हुआ है। उत्तरकाशी जनपद में स्थिति गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के यात्रा मार्गों पर यहां के स्थानीय लोगों व व्यवसायियों की आर्थिकी यात्रा पर ही टिकी हुई है। यमुना घाटी में सात हजार लोग घोड़ा-खच्चर संचालन से जुड़े हैं, जबकि होटल व्यवसाय से बड़कोट से लेकर यमुनोत्री तक पांच हजार लोग जुड़े हैं। इसके अलावा डंडी-कंडी संचालकों की संख्या भी तीन हजार और तीर्थ पुरोहितों की संख्या एक हजार से अधिक है। इसी तरह से गंगोत्री धाम से भी करीब 20 हजार परिवार जिनमें होटल संचालक व कर्मचारी, तीर्थ पुरोहित, पूजन सामग्री विक्रेता, ट्रेवल एजेंसी संचालक आदि हैं।
इन पर पहले 2012 और 2013 में आपदा की मार पड़ी। आपदा से उभरने में लंबा वक्त लगा तो, अब चीन के वुहान प्रांत से दुनिया में फैले कोरोना वायरस संक्रमण आपदा बनकर टूट पड़ा है। चारधाम यात्रा तथा पर्यटन व्यवसाय पर भी इसका असर पड़ा है। चारधाम के कपाट इसी अप्रैल के अंतिम सप्ताह खुलने हैं। परंतु कोरोना कहर के बीच चारधाम यात्रा की कोई तैयारी नहीं हैं। होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष शैलेन्द्र मटूड़ा ने कहा कि इस बार चारधाम यात्रा चलने की अच्छी उम्मीद थी। फरवरी तक बुकिंग आ रही थी। लेकिन, अब सारी बुकिंग स्थगित हो गई है। वे कहते हैं कि इससे केवल होटल व्यवसाय नहीं, बल्कि चारधाम यात्रा से जुड़े हर व्यक्ति को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा।