उत्तराखण्ड

सीएम को उमेश प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट से झटका

देहरादून। समाचार प्लस चैनल के सीईओ के खिलाफ सरकार ने बडा ऑपरेशन चलाते हुए उनके खिलाफ राजपुर थाने में चैनल के ही आयुष गौड़ को हथियार बनाकर उन पर सरकार के खिलाफ साजिश करने व ब्लैकमेलिंग का मुकदमा दर्ज कराकर उन्हें गाजियाबाद से गिरफ्तार कराया था और उनका पुलिस कस्टडी रिमांड लेकर वो स्टिंग बरामद करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी जिसके उजागर होने का सरकार को डर सताया था?

सरकार ने उमेश को ब्लैकमेलर साबित करने के लिए पूरी ताकत झोंकी लेकिन वह अदालत में उन्हें ब्लैकमेलर साबित नहीं कर पाये और उमेश ने उच्च न्यायालय में सरकार को चुनौती देते हुए स्टिंग प्रकरण की सीबीआई जांच कराने के लिए अपनी अदालती लडाई शुरू की और काफी समय से उच्च न्यायालय में वह लडाई चल रही है।

इसी बीच उमेश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में सरकार के खिलाफ याचिका दायर करते हुए मुख्यमंत्री के भाई-भतीजा व एक करीबी का भ्रष्टाचार को लेकर किया गया स्टिंग उच्चतम न्यायालय में जमा कराते हुए मामले की जांच किसी अन्य प्रदेश से कराने या सीबीआई से कराने की गुहार लगाई। उमेश की ओर से उच्चतम न्यायालय में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पैरवी की और अदालत को बताया कि उत्तराखण्ड सरकार ने किस तरह से बदले की भावना से काम करते हुए उमेश कुमार पर फर्जी मुकदमें कायम कराकर उन्हें जेल की सलाखों के पीछे डाला था।

उच्चतम न्यायालय ने उमेश कुमार के खिलाफ उत्तराखण्ड में दर्ज सभी मुदकमों की जांच, ट्रायल पर रोक लगाते हुए उत्तराखण्ड सरकार को नोटिस जारी किया है और स्टिंग प्रकरण की जांच करने वाले सभी आईओ को भी नोटिस जारी किया है। उमेश कुमार की गुगली से उत्तराखण्ड सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश से क्लीन बोल्ड हो गई और अब पुलिस के उन अफसरों की भी मुश्किलें बढ़ सकती हैं जिनके आदेश पर उमेश कुमार को फर्जी तरीके से गिरफ्तार कर जेल की सलाखों के पीछे डाला गया था।

अब सबकी नजरें सुप्रीम कोर्ट पर टिक गई हैं क्योंकि उमेश कुमार ने मुख्यमंत्री के भाई-भतीजा व करीबी का भ्रष्टाचार को लेकर किये गये सभी स्टिंग सुप्रीम कोर्ट में जमा करा दिये हैं।
आज सुप्रीम कोर्ट में समाचार प्लस चैनल के सीईओ उमेश कुमार के अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने जस्टिस भानुमति की अदालत में स्टिंग प्रकरण को लेकर बहस की और अदालत को बताया कि उत्तराखण्ड सरकार ने किस तरह से उमेश कुमार पर फर्जी मुकदमा कायम कर उन्हें जेल की सलाखों के पीछे डाला था।

कपिल सिब्बल ने अदालत को यह भी बताया कि सरकार के इशारे पर किस तरह से उमेश कुमार के खिलाफ कुछ फर्जी मुकदमें कायम किये गये। अदालत को बताया गया कि जैसे ही उत्तराखण्ड सरकार को इस बात का पता चला कि उमेश कुमार ने मुख्यमंत्री के भाई-भतीजे व उनके एक करीबी का भ्रष्टाचार को लेकर कुछ स्टिंग कर रखे हैं तो उसके बाद उमेश कुमार पर फर्जी मुकदमा कायम कर उन्हें गिरफ्तार किया गया।

अदालत को यह भी बताया गया कि सरकार के इशारे पर स्टिंग प्रकरण की जांच कर रहे आईओ ने फर्जी पता न्यायालय में सबूत के तौर पर पेश कर उमेश कुमार को गिरफ्तार किया था। कपिल सिब्बल ने अदालत को यह भी बताया कि उमेश को गिरफ्तार करने के लिए निचली अदालत में जो घर का पता दिया गया है उस पते पर उमेश कुमार रहते ही नहीं है और एक बडी साजिश के तहत उमेश कुमार को गिरफ्तार किया गया था।

कपिल सिब्बल ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि उन्हें उत्तराखण्ड पुलिस पर बिलकुल भरोसा नहीें है क्योंकि वह उत्तराखण्ड सरकार के इशारे पर काम कर रही है इसलिए उमेश कुमार के खिलाफ निचली अदालतों में चल रहे सभी ट्रायल व जांच पर रोक लगा दी जाये और उमेश कुमार पर दर्ज सभी मुकदमों की जांच किसी बाहरी प्रदेश की एजेंसी से कराई जाये।

उच्चतम न्यायालय ने मामले को बेहद गम्भीर मानते हुए उमेश कुमार के खिलाफ उत्तराखण्ड में चल रहे सभी मुकदमों पर रोक लगा दी और आदेश दिये कि सभी मुकदमों की जांच रोक दी जाये और निचली अदालतों में जो भी ट्रायल चल रहे हैं उन सभी पर रोक रहेगी। उच्चतम न्यायालय ने स्टिंग प्रकरण में उत्तराखण्ड सरकार को नोटिस जारी किया है और साथ ही स्टिंग प्रकरण की जांच करने वाले सभी आईओ को भी नोटिस जारी किया है।

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से उत्तराखण्ड में डबल इंजन सरकार को एक बडा झटका लगा है। अब उत्तराखण्ड में इस बात को लेकर भी बहस शुरू हो गई है कि अगर उमेश कुमार के खिलाफ दर्ज हुए सभी मुकदमों की जांच उच्चतम न्यायालय ने किसी बाहरी प्रदेश की एजेंसी से कराने के आदेश दे दिये तो उत्तराखण्ड सरकार के लिए यह एक बडा सिरदर्द बन जायेगा। उमेश कुमार पहले से ही इस बात का खुलासा करते आ रहे हैं कि स्टिंग प्रकरण की जांच करने वाले आईओ अरविंद कुमार ने उनके घर से पते का न्यायालय से उनका गिरफ्तारी वारंट नहीं लिया था बल्कि एक बडी साजिश करते हुए फर्जी पते के आधार पर देहरादून न्यायालय से उनका गिरफ्तारी वारंट लिया था। उमेश कुमार ने गाजियाबाद के एक थाने में भी इसके खिलाफ शिकायत दी थी कि किस तरह से धोखाधडी कर अदालत से उनका गिरफ्तारी वारंट लेकर उन्हें जेल भेजा गया था।

अब देखने वाली बात है कि उमेश कुमार ने मुख्यमंत्री के रिश्तेदारों व करीबी का भ्रष्टाचार को लेकर किये गये स्टिंग उच्चतम न्यायालय में जमा कराये हैं और इसकी बडी एजेंसी से जांच कराने की मांग की है अगर उच्चतम न्यायालय ने इन स्टिंग पर किसी बडी एजेंसी से जांच कराने के आदेश दे दिये तो डबल इंजन सरकार के मुखिया के सामने एक बडा संकट आकर खडा हो जायेगा? सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से उत्तराखण्ड सरकार के मुखिया का सिरदर्द बढ़ सकता है क्योंकि उमेश कुमार जेल से छुटने के बाद से लगातार सरकार के मुखिया पर आरोप लगा रहे हैं कि उन्हें फर्जी तरीके से फसाने का उन्होंने षडयंत्र रचा था?

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button